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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
उत्तराखंड: स्कूलों में अब स्थानीय भाषाओं में होगी साप्ताहिक प्रतियोगिताएं, सीएम धामी ने की बड़ी घोषणा
देहरादून (Dehradun) - उत्तराखंड सरकार ने राज्य की समृद्ध स्थानीय भाषाओं और साहित्य को बचाने और बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि अब राज्य के सभी स्कूलों में हफ्ते में एक बार स्थानीय बोली-भाषा में भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। यह कदम युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति और भाषाई विरासत से जोड़े रखने के लिए उठाया गया है।
साहित्य को मिलेगा बढ़ावा, पुरस्कार राशि में भारी वृद्धि
मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड भाषा संस्थान की बैठक में कई अहम घोषणाएं कीं। इनमें उत्तराखंड साहित्य भूषण पुरस्कार की राशि 5.51 लाख रुपये तक बढ़ाने का निर्णय शामिल है। वहीं, दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान के लिए 5 लाख रुपये की राशि निर्धारित की गई है। यह फैसला राज्य के साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने और उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए लिया गया है।
डिजिटल युग में संरक्षित होंगी लोकभाषाएं, ई-लाइब्रेरी बनेगी
आधुनिक तकनीक के माध्यम से उत्तराखंड की लोकभाषाओं, कथाओं और गीतों को सहेजने के लिए एक ई-लाइब्रेरी बनाई जाएगी। साथ ही, इन पर ऑडियो-विजुअल डॉक्युमेंट्री भी तैयार की जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में उत्तराखंड भाषा एवं साहित्य महोत्सव का भव्य आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर के साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाएगा। इसके अलावा, राज्य की सभी लोकभाषाओं का एक भाषाई मानचित्र भी तैयार किया जाएगा।
पुस्तकों को बढ़ावा, 'बुक' देने की परंपरा अपनाने की अपील
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से उपहार में फूलों की जगह पुस्तकें ('बुक') देने की परंपरा शुरू करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इससे न केवल ज्ञान का प्रसार होगा, बल्कि युवाओं में पढ़ने की आदत भी बढ़ेगी।
युवा रचनाकारों के लिए 'युवा कलमकार प्रतियोगिता' का आयोजन
राज्य सरकार ने युवाओं को साहित्य से जोड़ने के लिए 'युवा कलमकार प्रतियोगिता' शुरू करने का फैसला किया है। इसमें 18-24 और 25-35 आयु वर्ग के युवा लेखकों को शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य नए साहित्यकारों को प्रोत्साहित करना है।
दूरदराज के इलाकों तक पहुंचेंगे सचल पुस्तकालय
राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में सचल पुस्तकालय की सुविधा शुरू की जाएगी। साथ ही, बच्चों में स्थानीय भाषाओं के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे वीडियो भी बनाए जाएंगे।
पारंपरिक 'बाकणा' पंडवाणी गायन का होगा अभिलेखीकरण
जौनसार बावर क्षेत्र के पारंपरिक 'पंडवाणी गायन बाकणा' को डिजिटल रूप में संरक्षित किया जाएगा, ताकि यह कला आने वाली पीढ़ियों तक पहुंच सके।
प्राकृतिक वातावरण में बनेंगे दो साहित्य ग्राम
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य में दो साहित्य ग्राम स्थापित किए जाएंगे, जहां साहित्यकार सृजन, शोध और संवाद के लिए एकत्रित हो सकेंगे।
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