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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
विश्व पर्यावरण दिवस: औपचारिकता या सच्ची प्रतिबद्धता?
चंपावत, उत्तराखंड (Champawat, Uttarakhand) - विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है, लेकिन क्या यह सिर्फ एक औपचारिकता भर है या फिर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम? चंपावत जिले में भी इस दिन बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया गया, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इन पौधों का रिकॉर्ड रखा जाता है? क्या यह सुनिश्चित किया जाता है कि लगाए गए पौधे जीवित रहें?
क्या विश्व पर्यावरण दिवस सिर्फ एक दिन का आयोजन है?
विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर आम धारणा यही है कि यह सिर्फ एक दिन का आयोजन है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के नेतृत्व में यह दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है, लेकिन क्या इसके बाद लोगों की प्रतिबद्धता खत्म हो जाती है? चंपावत जिले में भी इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, लेकिन क्या यह सिर्फ मीडिया कवरेज तक सीमित रह गया?
पर्यावरण संरक्षण की सच्ची भावना कहाँ है?
विश्व पर्यावरण दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों में जागरूकता फैलाना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान जैसी समस्याओं से निपटने के लिए सतत प्रयास करने चाहिए। लेकिन क्या हम वाकई इस दिन के बाद भी पर्यावरण के प्रति सचेत रहते हैं?
चंपावत में पौधारोपण: कागजी खानापूर्ति या ठोस पहल?
चंपावत जिले में इस साल भी बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया गया, लेकिन सवाल यह है कि क्या इन पौधों का रखरखाव किया जाता है? क्या इनकी निगरानी की जाती है? अगर नहीं, तो फिर यह सिर्फ औपचारिकता ही रह जाती है। जिला प्रशासन को इस बारे में स्पष्ट नीति बनानी चाहिए कि लगाए गए पौधों का रिकॉर्ड रखा जाए और उनकी देखभाल की जाए।
व्यक्तिगत और सामुदायिक प्रयासों की आवश्यकता
पर्यावरण संरक्षण सिर्फ सरकार या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है। हर नागरिक को अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिए। ऊर्जा बचाना, कचरा प्रबंधन और पौधारोपण जैसे छोटे-छोटे कदम बड़ा बदलाव ला सकते हैं। चंपावत के निवासियों को भी इस दिशा में आगे आना चाहिए।
प्रशासनिक स्तर पर ठोस नीतियों की मांग
जिला प्रशासन को पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस नीतियां बनानी चाहिए। सिर्फ पौधारोपण कर देने से काम नहीं चलेगा। पौधों की सुरक्षा, जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण जैसे मुद्दों पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है।
निष्कर्ष: औपचारिकता से आगे बढ़ने की जरूरत
विश्व पर्यावरण दिवस को सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखना चाहिए। हमें हर दिन पर्यावरण के प्रति सचेत रहना होगा। चंपावत जिले के साथ-साथ पूरे देश को इस दिशा में मिलकर काम करना होगा।
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