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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
उत्तराखंड में जड़ी-बूटी क्रांति: वन पंचायतों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
देहरादून (Dehradun) - मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में आज सचिवालय में वन पंचायतों के माध्यम से गैर-प्रकाष्ठ वन उपज, हर्बल और एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट पर महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में जड़ी-बूटी उत्पादन को स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए अहम बताते हुए कई अहम निर्णय लिए गए।
मैदानी जिलों में भी शुरू होगा जड़ी-बूटी उत्पादन
मुख्य सचिव ने कहा कि हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जैसे मैदानी जिलों में भी जड़ी-बूटी उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। हालांकि, इन जिलों में वन पंचायतें नहीं हैं, इसलिए उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्राम पंचायतों के माध्यम से इन क्षेत्रों में भी जड़ी-बूटी उत्पादन शुरू किया जाए।
GIS मैपिंग और डिजिटलीकरण पर जोर
मुख्य सचिव ने हर्बल उत्पादन से जुड़े सभी डेटा की GIS मैपिंग और डिजिटलीकरण करने के निर्देश दिए। साथ ही, कैंपा फंड का उपयोग कर निजी भूमि पर भी हर्बल उत्पादन की संभावनाएं तलाशने को कहा गया।
वन उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग पर फोकस
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि वन विभाग के अधीन उपलब्ध विभिन्न वनोत्पादों की बेहतर मार्केटिंग और वैल्यू एडिशन की जाए। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मुख्य सचिव ने कहा कि इन उत्पादों को स्थानीय लोगों की आजीविका का आधार बनाया जाए।
प्रशिक्षण और क्षमता विकास पर विशेष ध्यान
जड़ी-बूटी उत्पादन से जुड़े लोगों के लिए एल्टीट्यूड वाइज प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने के भी निर्देश दिए गए। साथ ही, फॉरेस्ट डेवलपमेंट एजेंसी (FDA) से हर्बल उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों की समीक्षा कराने को कहा गया।
हर्बल और एरोमा टूरिज्म को बढ़ावा
इस बैठक में हर्बल और एरोमा टूरिज्म को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने कहा कि इससे न केवल पर्यटन को गति मिलेगी, बल्कि स्थानीय उत्पादों को भी वैश्विक बाजार में पहचान मिलेगी।
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Uttarakhand to Boost Herbal Economy Through Van Panchayats