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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
भूमि अधिग्रहण कानून: क्या सरकार बिना सहमति ले सकती है आपकी जमीन? जानिए आपके अधिकार
नई दिल्ली (New Delhi), भारत – देश में बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास के लिए भूमि अधिग्रहण एक अहम मुद्दा बना हुआ है। अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या सरकार किसी नागरिक की जमीन उसकी सहमति के बिना ले सकती है? जवाब है - "हां, कुछ विशेष परिस्थितियों में ले सकती है, लेकिन एक स्पष्ट कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।"
संविधान और कानून क्या कहते हैं भूमि अधिग्रहण पर?
भारतीय संविधान और भूमि अधिग्रहण कानून सरकार को 'जनहित' में जमीन लेने का अधिकार देते हैं। वर्तमान में, सरकार 'भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में निष्पक्ष मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013' (LARR Act) के तहत जमीन का अधिग्रहण करती है। यह कानून जमीन मालिकों को उचित मुआवजा सुनिश्चित करता है और जबरन अधिग्रहण को रोकने के लिए बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: "बिना मुआवजे के अधिग्रहण असंवैधानिक"
सुप्रीम कोर्ट ने सुख दत्त रात्रा बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य (2022) मामले में स्पष्ट किया कि "सरकार बिना कानूनी प्रक्रिया और उचित मुआवजे के किसी की निजी संपत्ति नहीं ले सकती।" अदालत ने इसे संविधान के अनुच्छेद 300-A का उल्लंघन बताया, जो कहता है कि किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से कानून के अनुसार ही वंचित किया जा सकता है।
क्या जमीन अधिग्रहण में सहमति जरूरी है?
LARR एक्ट के अनुसार, सहमति की आवश्यकता परियोजना के प्रकार पर निर्भर करती है:
- सरकारी परियोजनाएं (सड़क, रेलवे): सहमति की आवश्यकता नहीं, लेकिन मुआवजा अनिवार्य।
- निजी परियोजनाएं: 80% जमीन मालिकों की सहमति जरूरी।
- पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP): 70% सहमति आवश्यक।
कितना मुआवजा मिलता है?
LARR एक्ट के तहत:
- ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार मूल्य का कम से कम 2 गुना मुआवजा।
- शहरी क्षेत्रों में बाजार मूल्य का 1 गुना मुआवजा।
- पुनर्वास, नकद मदद और वैकल्पिक रोजगार का भी प्रावधान।
क्या आप जमीन देने से मना कर सकते हैं?
अगर अधिग्रहण "जनहित" में है और कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ है, तो व्यक्तिगत इनकार का अधिकार सीमित है। हालांकि, प्रभावित व्यक्ति निम्न आधारों पर अदालत में चुनौती दे सकता है:
- अधिग्रहण प्रक्रिया में गड़बड़ी।
- मुआवजे या पुनर्वास में अन्याय।
- सहमति नियमों का उल्लंघन।
चर्चित मामले: सिंगूर और यमुना एक्सप्रेसवे विवाद
सुप्रीम कोर्ट ने सिंगूर (पश्चिम बंगाल) मामले में टाटा मोटर्स के लिए अधिग्रहित जमीन को अवैध घोषित कर किसानों को वापस दिलाई। वहीं, यमुना एक्सप्रेसवे (उत्तर प्रदेश) के मामले में किसानों को कम मुआवजे और जमीन के निजी बिल्डरों को आवंटन को लेकर विवाद हुआ।
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