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By: Admin Senior Editor, UjalaNewsUK
गर्मी में बिजली की भयंकर किल्लत की चेतावनी, मई-जून में देश भर में बढ़ सकती है मुश्किलें
देश के शीर्ष ग्रिड ऑपरेटर ने आने वाले गर्मी के मौसम में बिजली की भारी कमी को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (NLDC) की रिपोर्ट के मुताबिक, मई और जून में बिजली की मांग 15 से 20 गीगावाट (GW) तक पहुंच सकती है, जिसे पूरा करना बेहद मुश्किल होगा। इस दौरान पूरे देश में बिजली कटौती का खतरा सबसे अधिक होगा।
मई-जून में बिजली की मांग चरम पर, आपूर्ति में होगी कमी
NLDC की रिपोर्ट में कहा गया है कि मई और जून में बिजली की मांग अपने चरम पर होगी। मई में औसत आपूर्ति नहीं हो पाने की संभावना एक-तिहाई है, जबकि जून में यह संभावना 20 फीसदी तक हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, मांग और आपूर्ति के बीच 15 गीगावाट से अधिक का अंतर हो सकता है, जिससे देश भर में बिजली कटौती की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
रिन्यूएबल एनर्जी पर जोर, लेकिन समस्या बनी हुई है
NLDC ने रिपोर्ट में रिन्यूएबल एनर्जी के स्रोतों को तेजी से बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। साथ ही, मांग-पक्ष में लोड शिफ्टिंग जैसे उपायों को अपनाने का सुझाव दिया गया है। हालांकि, कोयला आधारित संयंत्रों की क्षमता स्थिर रहने के कारण बढ़ती मांग को पूरा करना मुश्किल हो रहा है।
कोयला आधारित संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने का सुझाव
NLDC ने इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के तहत इमरजेंसी पावर को लागू करने का भी सुझाव दिया है। इसके तहत कोयला आधारित संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया है। भारत की बेसलोड बिजली क्षमता में कोयला आधारित संयंत्रों का प्रभुत्व है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इनकी क्षमता स्थिर रहने से बढ़ती मांग को पूरा करना मुश्किल हो रहा है।
गर्मी में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान
NLDC के अनुसार, इस साल गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग 270 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 250 गीगावाट थी। गर्मी के महीनों में गैर-सौर घंटों के दौरान बिजली की कमी होने की संभावना अधिक है। इससे निपटने के लिए तत्काल उपाय करने की आवश्यकता है।
क्या होगा आम लोगों पर असर?
गर्मी के मौसम में बिजली की कमी का सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा। पंखे, कूलर और एसी जैसे उपकरणों के बिना गर्मी से राहत पाना मुश्किल होगा। इसके अलावा, उद्योगों और व्यवसायों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
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