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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
बकरीद पर चौंकाने वाली घटना: वृद्ध ने खुद का गला काटकर दी कुर्बानी
देवरिया, उत्तर प्रदेश - Deoria, Uttar Pradesh
बकरीद के पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया है। गौरीबाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव निवासी 60 वर्षीय ईश मोहम्मद अंसारी ने बकरीद की नमाज अदा करने के बाद अपनी ही झोपड़ी में बकरा हलाल करने वाले चाकू से गला काटकर खुद को 'कुर्बान' कर दिया। यह घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है।
क्या था पूरा मामला?
पुलिस और ग्रामीणों के अनुसार, ईश मोहम्मद ने बकरीद की सुबह मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद घर लौटकर अपनी झोपड़ी में प्रवेश किया। करीब एक घंटे बाद उनकी पत्नी हजरा खातून ने झोपड़ी से कराहने की आवाज सुनी। जब वह अंदर पहुंची तो ईश मोहम्मद को खून से लथपथ और गले में गहरा घाव लिए तड़पते हुए पाया। इस दृश्य को देखकर वह बेहोश हो गईं। गांव वालों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
पत्र में लिखी थी पूरी योजना
ईश मोहम्मद ने इस कुर्बानी से पहले ही अपने परिवार को एक पत्र लिखकर सूचित कर दिया था। पत्र में उन्होंने लिखा था - "इंसान बकरे को अपने बच्चे की तरह पालकर कुर्बानी देता है, वह भी तो जीव है। मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम पर कर रहा हूं। मेरी मिट्टी या कब्र से घबराना नहीं, किसी ने मुझे कत्ल नहीं किया है।"
परिवार और पुलिस की प्रतिक्रिया
ईश मोहम्मद के परिवार में उनकी पत्नी और तीन बेटे अहमद अंसारी, मोहम्मद फैज और ताज मोहम्मद शोक में डूबे हैं। गौरीबाजार थानाध्यक्ष नंदा प्रसाद ने बताया कि ईश मोहम्मद धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे और अक्सर एकांत में इबादत करते रहते थे। उन्होंने कहा, "यह मामला अंधविश्वास से प्रेरित लगता है। हम जांच कर रहे हैं।"
क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक?
मनोवैज्ञानिक डॉ. राजीव शुक्ला के अनुसार, "यह घटना धार्मिक उन्माद (Religious Obsession) का चरम उदाहरण है। जब कोई व्यक्ति किसी धार्मिक विश्वास को इतनी गहराई से आत्मसात कर लेता है कि वह अपने जीवन को भी त्यागने को तैयार हो जाता है। ऐसे मामलों में परिवार को सजग रहना चाहिए।"
गांव में मचा हड़कंप
उधोपुर गांव के लोग इस घटना से स्तब्ध हैं। ग्राम प्रधान रमेश यादव ने बताया, "ईश मोहम्मद शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके इस कदम ने सभी को झकझोर दिया है।" गांव में कुछ लोग इसे 'चमत्कार' बता रहे हैं, तो कुछ इसे गंभीर मानसिक विकार मान रहे हैं।
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