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चंपावत: क्या शिवरात्रि से शुरू होगा उत्तराखंड के पहाड़ी समाज का नया संघर्ष?
चंपावत, उत्तराखंड: पहाड़ी समाज की सांस्कृतिक पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए पहाड़ी आर्मी ने शिवरात्रि से एक बड़े सशक्तिकरण अभियान और हिन्दू जागरण यात्रा की शुरुआत करने का ऐलान किया है। यह यात्रा चंपावत स्थित गोल्ज्यू मंदिर से प्रारंभ होगी और उत्तराखंड के सभी जिला मुख्यालयों तक पहुँचेगी।
क्या हैं अभियान की मुख्य मांगें?
पहाड़ी आर्मी ने उत्तराखंड सरकार के समक्ष कई प्रमुख मुद्दे उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मूल निवासियों को रोजगार में प्राथमिकता दिए जाने की मांग।
- भूमि कानूनों को मजबूत करने और बाहरी लोगों द्वारा संसाधनों के अवैध दोहन को रोकने की गुहार।
- गौ माता को राज्य की आधिकारिक माता का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव।
- पहाड़ी भाषा, त्योहारों और सांस्कृतिक पहचान को सरकारी मान्यता दिलाने की मांग।
- यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशन को लेकर चिंता, जिसे संगठन पहाड़ी संस्कृति के लिए खतरा बता रहा है।
- नदियों, जंगलों और पर्यावरण के अवैध दोहन को रोकने की मांग।
- नशे के खिलाफ अभियान चलाकर पहाड़ी युवाओं को बचाने का संकल्प।
क्या कहते हैं पहाड़ी आर्मी के नेता?
संगठन के संस्थापक अध्यक्ष हरीश रावत ने सुखीढांग में आयोजित जनसंपर्क कार्यक्रम में कहा, *"यह यात्रा सिर्फ एक प्रतीक नहीं, बल्कि पहाड़ के अस्तित्व की लड़ाई है। हम शासन की उपेक्षा और नशे जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जनजागरण करेंगे।"* उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदर्श विधानसभा क्षेत्र से इस अभियान की शुरुआत करने की रणनीति भी साझा की।
कौन शामिल होंगे यात्रा में?
प्रदेश संयोजक विनोद शाही के नेतृत्व में यह अभियान चलेगा। इसमें भुवन चंद्र पांडेय, भगवंत सिंह राणा, विनोद नेगी, गौरव गोस्वामी, कमलेश जेठी, हिमांशु शर्मा, और बिशन लाल आर्य जैसे नेता शामिल होंगे। संगठन का दावा है कि हजारों कार्यकर्ता इस यात्रा में हिस्सा लेंगे, जो नदियों, जंगलों और पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश भी देगी।
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