🔊
By: Admin Senior Editor, UjalaNewsUK
उत्तराखंड में मदरसा विवाद-सुप्रीम कोर्ट-जमीयत उलमा-ए-हिंद ने दाखिल की याचिका
देहरादून/हरिद्वार/ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड (Dehradun/Haridwar/Udham Singh Nagar, Uttarakhand) - उत्तराखंड सरकार द्वारा अवैध मदरसों पर चलाए जा रहे अभियान के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य भर में अब तक 136 से अधिक मदरसों को सील किया जा चुका है।
जमीयत के नेताओं का आरोप है कि सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी करते हुए बिना पूर्व सूचना के यह कार्रवाई की गई है।
क्या है पूरा विवाद?
राज्य सरकार का कहना है कि ये सभी मदरसे बिना उचित पंजीकरण और दस्तावेजों के संचालित हो रहे थे। "हमने पाया कि कई मदरसे संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त थे और उनके वित्तीय स्रोत संदिग्ध थे," एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया। सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को इन मदरसों की फंडिंग की जांच के निर्देश दिए हैं।
जमीयत का क्या है तर्क?
जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत अली कासमी ने दावा किया कि "यह कार्रवाई पूरी तरह से एकतरफा और असंवैधानिक है। हमने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस पर रोक लगाने की मांग की है।" संगठन का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी।
राज्य में पंजीकृत 450 मदरसों को इस कार्रवाई से छूट दी गई है, जो सरकार को नियमित रूप से अपने दस्तावेज और वित्तीय विवरण प्रस्तुत करते हैं।
सुरक्षा चिंताओं पर सरकार का रुख
सरकार का मानना है कि यूपी सीमा से लगे जसपुर, बाजपुर, किच्छा जैसे क्षेत्रों में खुले इन अवैध मदरसों से सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताएं पैदा हो सकती हैं। "हमें इन संस्थानों के वित्त पोषण और उद्देश्यों की पूरी तरह से जांच करनी होगी," एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा।
#उत्तराखंड #मदरसा_विवाद #जमीयत_उलमा #सुप्रीमकोर्ट #धामी_सरकार #अवैध_मदरसे #शिक्षा_विवाद #सामाजिक_न्याय #सुरक्षा_चिंताएं #राज्य_प्रशासन #धार्मिक_शिक्षा #कानूनी_लड़ाई