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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
उत्तराखंड में हाईवे पर ट्रामा सेंटर न होने से बढ़ रहा मौतों का आंकड़ा, सड़क सुरक्षा समिति ने उठाई आवाज
देहरादून, उत्तराखंड - Dehradun, Uttarakhand
उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को समय पर इलाज न मिल पाने के कारण हर साल 30 से 40 लोगों की मौत हो जाती है। इस गंभीर समस्या को देखते हुए राज्य सड़क सुरक्षा समिति ने स्वास्थ्य विभाग को हाईवे के किनारे ट्रामा सेंटर स्थापित करने के लिए पत्र लिखा है।
स्वर्णिम समय में इलाज न मिलने से बढ़ रही मौतें
विशेषज्ञों के अनुसार, सड़क दुर्घटना के बाद के पहले एक घंटे (गोल्डन आवर) में अगर घायल को उचित चिकित्सा सुविधा मिल जाए तो उसके बचने की संभावना 90% तक बढ़ जाती है। लेकिन उत्तराखंड में अभी तक सभी ट्रामा सेंटर जिला अस्पतालों में ही स्थित हैं, जो अधिकांश हाईवे से काफी दूर हैं।
केंद्र सरकार के निर्देशों की अनदेखी
केंद्र सरकार ने पहले ही सभी राज्यों को हर 100 किलोमीटर पर हाईवे के किनारे ट्रामा सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे। लेकिन उत्तराखंड में इस ओर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर गठित केंद्रीय सड़क सुरक्षा समिति ने भी इस मामले में कड़ी नाराजगी जताई है।
जिला अस्पतालों में ट्रामा सेंटर होने से नहीं मिल पा रहा लाभ
हालांकि प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालयों को ट्रामा सेंटर के रूप में विकसित किया गया है, लेकिन ये हाईवे से दूर होने के कारण दुर्घटना स्थल पर तुरंत मदद पहुंचाने में असमर्थ हैं। राज्य सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष ने बताया कि "हाईवे पर ट्रामा सेंटर न होने से हर साल सैकड़ों कीमती जिंदगियां खो रही हैं"।
स्वास्थ्य विभाग से की गई मांग
समिति ने स्वास्थ्य विभाग से प्रमुख हाईवे जैसे NH-58, NH-72 और NH-123 के किनारे ट्रामा सेंटर स्थापित करने की मांग की है। साथ ही इन केंद्रों को आधुनिक चिकित्सा उपकरणों और प्रशिक्षित स्टाफ से लैस करने पर भी जोर दिया गया है।
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Uttarakhand Demands Trauma Centers Along Highways to Reduce Accident Deaths