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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
सीमांत गांवों की पीड़ा: सुंगरखाल से लोहाघाट तक अभी भी नहीं पहुंची रोडवेज बस, ग्रामीणों का आक्रोश
लोहाघाट, चंपावत (Lohaghat, Champawat) - नेपाल सीमा से सटे सुंगरखाल, मडलक, बगोटी, सल्टा समेत कई सीमांत गांवों के निवासी आज भी सार्वजनिक परिवहन के अभाव से जूझ रहे हैं। 35-40 किलोमीटर की इस दूरी के लिए निजी टैक्सियों पर निर्भर ग्रामीणों को प्रति व्यक्ति 200 रुपये का भारी किराया चुकाना पड़ रहा है।
आजादी के 78 वर्ष बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित
लोहाघाट विकास खंड के इन सीमावर्ती गांवों में 8,000 से 10,000 की आबादी रहने के बावजूद आज तक एक भी रोडवेज बस की सेवा शुरू नहीं हो पाई है। स्थानीय निवासी हरिदत्त जोशी ने बताया, "सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए हमें महंगी टैक्सियों पर निर्भर रहना पड़ता है, जबकि राज्य के अन्य हिस्सों में रोडवेज की सुविधा उपलब्ध है।"
वरिष्ठ नागरिकों को नहीं मिल पा रहा निशुल्क यात्रा लाभ
उत्तराखंड सरकार की वरिष्ठ नागरिक निशुल्क यात्रा योजना भी इन गांवों के लिए कागजी घोषणा बनकर रह गई है। 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को इलाज, बैंकिंग और सरकारी कार्यों के लिए लोहाघट जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने उठाई मांग, जनप्रतिनिधियों से की अपील
स्थानीय युवा मंडल के नेता विक्रम सिंह ने बताया कि उन्होंने विधायक, सांसद और जिला प्रशासन से इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है। "हम चाहते हैं कि कम से कम एक नियमित रोडवेज बस इस रूट पर चलाई जाए, जिससे ग्रामीणों को राहत मिल सके," उन्होंने कहा।
जन सहयोग से ही संभव होगा समाधान
ग्राम प्रधान सुंगरखाल राम सिंह ने सभी ग्रामवासियों से एकजुट होकर इस मुद्दे पर आवाज उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा, "सामूहिक प्रयास से ही हम प्रशासन का ध्यान इस ओर खींच पाएंगे और अपने गांवों को रोडवेज सेवा से जोड़ पाएंगे।"
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Border Villages in Distress: No Roadways Bus Service Between Sungarkhal and Lohaghat, Locals Protest