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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
एशिया का सबसे ऊंचा रेल पुल: चिनाब ब्रिज भारत की इंजीनियरिंग शक्ति का जीवंत प्रमाण
चंपावत (Champawat) - भारत ने आज इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए चिनाब ब्रिज को देश को समर्पित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज उद्घाटित किए गए इस पुल ने न केवल एशिया के सबसे ऊंचे रेल पुल का खिताब हासिल किया है, बल्कि यह फ्रांस के एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा है। 22 वर्षों के अथक परिश्रम और 1500 करोड़ रुपये के निवेश से तैयार हुए इस चिनाब ब्रिज ने भारत की तकनीकी क्षमता को वैश्विक पटल पर स्थापित कर दिया है।
1315 मीटर लंबे इस पुल की अद्भुत विशेषताएं
359 मीटर की ऊंचाई वाला यह चिनाब ब्रिज न सिर्फ ऊंचाई में एफिल टावर को पीछे छोड़ता है, बल्कि यह 266 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाले तूफान और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं को भी झेलने में सक्षम है। इसकी स्टील आर्क डिजाइन कनाडा की WSP कंपनी द्वारा तैयार की गई है, जबकि निर्माण कार्य में AFCONS के साथ दक्षिण कोरिया और जर्मनी की कंपनियों ने भी सहयोग दिया है। चिनाब ब्रिज का निर्माण बक्कल और कौरी के बीच चिनाब नदी पर किया गया है, जो अब जम्मू-कश्मीर को रेल मार्ग से देश के अन्य हिस्सों से जोड़ेगा।
कश्मीर घाटी के लिए क्यों है यह पुल महत्वपूर्ण?
दशकों तक जम्मू-कश्मीर का रेल संपर्क सिर्फ जम्मू तवी तक ही सीमित रहा था। बर्फबारी के दौरान सड़क और हवाई मार्ग अवरुद्ध हो जाने से घाटी के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। चिनाब ब्रिज के पूरा होने के बाद अब कश्मीर घाटी साल भर देश के बाकी हिस्सों से जुड़ी रहेगी। यह न सिर्फ पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि सैन्य और राहत कार्यों में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।
1947 से अब तक: जम्मू-कश्मीर के रेल इतिहास की झलक
जम्मू-कश्मीर का रेल इतिहास बेहद रोचक रहा है। 1897 में पहली रेल लाइन जम्मू से सियालकोट तक बिछाई गई थी, लेकिन 1947 के बंटवारे के बाद यह संपर्क टूट गया। 1975 में पठानकोट से जम्मू को जोड़ा गया, जबकि 1983 में जम्मू-उधमपुर रेल प्रोजेक्ट शुरू हुआ। 1994 में श्रीनगर और बारामूला तक रेल लाइन बढ़ाने की घोषणा की गई और 2004-05 में जम्मू-उधमपुर रेल लाइन बनकर तैयार हुई। चिनाब ब्रिज इसी श्रृंखला की सबसे महत्वाकांक्षी कड़ी है, जिसने अब कन्याकुमारी से कश्मीर तक सीधी रेल यात्रा को संभव बना दिया है।
कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है यह पुल?
चिनाब ब्रिज सिर्फ एक इंजीनियरिंग मार्वल नहीं है, बल्कि यह भारत की सामरिक ताकत को भी मजबूती प्रदान करता है। सीमावर्ती इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए रसद पहुंचाना अब पहले से कहीं आसान होगा। आपातकालीन स्थितियों में राहत सामग्री की आपूर्ति भी तेजी से की जा सकेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह पुल भारत की पर्वतीय इंजीनियरिंग क्षमता का जीवंत उदाहरण बन चुका है, जो देश की 'असंभव को संभव' करने की क्षमता को प्रदर्शित करता है।
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Asia's Tallest Rail Bridge: Chenab Bridge Stands as Testament to India's Engineering Prowess