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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा: क्या तुर्की को जवाब है या बड़ी रणनीति का हिस्सा?
निकोसिया (Nicosia), साइप्रस - अंकारा (Ankara), तुर्की – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नए सिरे से चर्चा छेड़ दी है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और तुर्की के संबंधों में खटास बनी हुई है, विशेषकर तुर्की के पाकिस्तान को खुले समर्थन के बाद। यह दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा है और इसे कूटनीतिक महत्वाकांक्षाओं से जोड़कर देखा जा रहा है।
तुर्की-पाकिस्तान गठजोड़ के बीच साइप्रस कनेक्शन
विश्लेषकों का मानना है कि "पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा तुर्की को एक स्पष्ट संदेश देने का प्रयास हो सकता है"। याद रहे कि तुर्की ने हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था और राष्ट्रपति अर्दोआन ने "पाकिस्तान-तुर्की दोस्ती जिंदाबाद" का नारा भी दिया था। इस पृष्ठभूमि में साइप्रस, जो तुर्की के साथ लंबे समय से विवादित संबंध रखता है, भारत के लिए एक रणनीतिक साझेदार बनकर उभरा है।
साइप्रस-भारत संबंधों का नया अध्याय
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और यूरोपीय संघ के साथ भारत के जुड़ाव को बढ़ाना है। साइप्रस में भारतीय उच्चायुक्त मनीष ने बताया कि "लगभग 11,500 भारतीय साइप्रस में रहते हैं और काम करते हैं, जिनमें से अधिकांश शिपिंग और आईटी क्षेत्र में हैं"। यह यात्रा आर्थिक सहयोग को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
आईएमईसी और ऊर्जा सहयोग की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (आईएमईसी) के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के सैमुअल रमानी ने कहा कि "भारत इसराइल-साइप्रस से ऊर्जा निष्कर्षण की संभावनाओं पर भी नजर रख रहा है"। साइप्रस की 2026 में यूरोपीय संघ की अध्यक्षता भारत-यूरोप मुक्त व्यापार समझौते को गति दे सकती है।
साइप्रस विवाद और भारत की भूमिका
साइप्रस का विवादित इतिहास, जहां तुर्की ने 1974 में द्वीप के उत्तरी भाग पर कब्जा कर लिया था, इस यात्रा को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। भारत ने हमेशा संयुक्त राष्ट्र के साइप्रस प्रस्तावों का समर्थन किया है और तुर्की की कार्रवाइयों की निंदा की है। विशेषज्ञ गोकुल साहनी के अनुसार, "साइप्रस ने कश्मीर मुद्दे से लेकर भारत की UNSC सदस्यता तक हर मुद्दे पर भारत का समर्थन किया है"।
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