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By: Admin Senior Editor, UjalaNewsUK
भारत के मिसाइल हमले के बाद पाकिस्तान के किराना हिल्स में परमाणु लीक की आशंका
सिलानवाली, पाकिस्तान (Silanwali, Pakistan)-भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में घोषित संघर्षविराम के बाद, पाकिस्तान के किराना हिल्स क्षेत्र में परमाणु हथियार भंडारण स्थल पर लीक की आशंका ने क्षेत्रीय और वैश्विक चिंता को जन्म दिया है।
क्या किराना हिल्स बना अगला वैश्विक संकट का केंद्र?
पाकिस्तान के सरगोधा शहर के दक्षिण में स्थित किराना हिल्स, जहां पर अतीत में परमाणु परीक्षण किए जा चुके हैं, अब संभावित परमाणु रिसाव के कारण सुर्खियों में है। भारत द्वारा 10-11 मई को किए गए हवाई हमलों के बाद, सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तस्वीरों और उपग्रह चित्रों में यह दावा किया गया है कि यहां एक अति-गोपनीय परमाणु शस्त्र भंडारण सुरंग को निशाना बनाया गया।
हालांकि पाकिस्तान सरकार ने इन हमलों को "खाली पहाड़ी" पर गिराए गए बम करार दिया है, लेकिन सैन्य विश्लेषकों और उपग्रह चित्रों ने इसके विपरीत संकेत दिए हैं।
इतिहास से जुड़ी जगह, आज के खतरे में
किराना हिल्स वह स्थल है जहां 1983 से 1995 के बीच पाकिस्तान ने 'किराना-I' नाम से 24 उप-आंशिक परमाणु परीक्षण किए थे। ये परीक्षण परमाणु उपकरणों की डिज़ाइन और विस्फोट प्रणाली की पुष्टि के लिए किए गए थे। यह क्षेत्र सैन्य रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और यहां भूमिगत सुरंगों में परमाणु हथियारों और मिसाइलों को संग्रहीत करने की बात मानी जाती है।
क्या यह हमला था एक रणनीतिक संकेत?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का असली लक्ष्य पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं को कमजोर करना था ताकि भविष्य में भारत के पास पहले परमाणु हमला करने का सामरिक अवसर हो। इस आक्रमण ने वैश्विक सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया है।
रिसाव की रिपोर्ट और अमेरिकी हस्तक्षेप
एक्स (पूर्व में ट्विटर) और टेलीग्राम पर वायरल पोस्ट्स के अनुसार, भारत के हमले के बाद किराना हिल्स में स्थित परमाणु शस्त्र सुरंग से संभावित विकिरण लीक की बात सामने आई है। कुछ रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने अमेरिकी ऊर्जा विभाग से सहायता की मांग की है ताकि विकिरण से जुड़े खतरों को संभाला जा सके।
हालांकि, इन दावों की पुष्टि किसी आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय संस्था या पाकिस्तान सरकार द्वारा नहीं की गई है।
दोनों देशों के बीच तनाव और संघर्षविराम
भारत और पाकिस्तान दोनों ने हाल ही में घोषित संघर्षविराम को अपनी-अपनी 'जीत' बताया है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को देश की रणनीतिक शक्ति का प्रतीक बताया, वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने 11 मई को सशस्त्र बलों के सम्मान का दिन घोषित किया।
स्थानीय लोगों में भय और राहत
नेलम घाटी की सहाद ने कहा, “यह मेरी ज़िंदगी के सबसे डरावने दिन थे। अब हम राहत महसूस कर रहे हैं कि ज़िंदगी सामान्य हो रही है।”
दूसरी ओर, भारत के पूंछ ज़िले के निवासी लाल दिन ने चिंता जताई, “ये सब अस्थायी है। जब तक कश्मीर मुद्दा हल नहीं होता, तब तक शांति सिर्फ एक सपना है।”
क्या भारत ने सचमुच पाक के परमाणु ढांचे को कमजोर किया?
रिपोर्टों के अनुसार, भारत ने सरगोधा के पास मौजूद मुषाफ एयरबेस और किराना हिल्स के संयुक्त स्थल को निशाना बनाया, जहां चीन निर्मित M-11 मिसाइलें भी रखी जाती हैं।
यदि यह हमला सफल रहा, तो यह पाकिस्तान के परमाणु प्रतिरोध ढांचे पर सीधा आघात माना जा सकता है। हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए आधिकारिक सबूतों की कमी है।
क्या यह संघर्षविराम स्थायी होगा?
इस संघर्षविराम ने फिलहाल दोनों देशों को युद्ध के कगार से पीछे खींच लिया है, लेकिन स्थानीय लोग और विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक मूल विवाद यानी कश्मीर मुद्दा हल नहीं होता, तब तक ऐसी शांति अस्थायी है।
निष्कर्ष: क्या यह सिर्फ शुरुआत है?
किराना हिल्स पर हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक संदेश हो सकता है। परमाणु हथियारों से लैस इन दो पड़ोसी देशों के बीच इस तरह की घटनाएं सिर्फ क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक खतरे को जन्म देती हैं।
जब तक पारदर्शी और पुष्टि योग्य जानकारी नहीं आती, तब तक किराना हिल्स में परमाणु रिसाव की खबरों को सिर्फ संभावित मानना ही बुद्धिमानी है।
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