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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
ट्रंप का बड़ा बयान: भारत-पाक युद्ध हुआ तो अमेरिका नहीं करेगा मध्यस्थता
वाशिंगटन, संयुक्त राज्य अमेरिका - Washington, United States - वाशिंगटन - अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ता है, तो अमेरिका किसी भी तरह की मध्यस्थता या समझौता नहीं करेगा। ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत और पाकिस्तान पर 29 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के साथ यह भी दावा किया कि उनकी व्यापार नीति ने दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध की आशंका को रोका। ट्रंप ने कहा कि गोलियों के बजाय व्यापार के जरिए उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को शांत किया, जिस पर उन्हें गर्व है। हालांकि, भारत ने उनके मध्यस्थता के दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच कोई भी सहमति सीधी बातचीत से हुई। यह बयान दोनों देशों के बीच व्यापार और कूटनीतिक संबंधों पर नई बहस छेड़ सकता है।
ट्रंप का दावा: व्यापार ने रोका युद्ध
राष्ट्रपति ट्रंप ने एयरफोर्स वन से उड़ान भरने के बाद ज्वाइंट बेस एंड्रयूज में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच खतरनाक संघर्ष को शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने दावा किया कि दोनों देशों के बीच युद्ध का लंबा इतिहास रहा है, और हर बार गोलीबारी के बाद समझौते होते रहे। लेकिन इस बार अमेरिका ने व्यापार के जरिए शांति स्थापित की। ट्रंप ने कहा कि दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच तनाव बहुत बुरा हो रहा था, लेकिन उनकी पहल से हालात अब ठीक हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पाकिस्तानी प्रतिनिधि अगले सप्ताह अमेरिका आ रहे हैं, और भारत के साथ भी व्यापार समझौता अंतिम चरण में है।
भारत का दो टूक जवाब
ट्रंप के बार-बार मध्यस्थता के दावों के बीच भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 22 मई 2025 को साफ कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष को खत्म करने में किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी। भारत और पाकिस्तान के बीच सहमति सीधी बातचीत के जरिए बनी। जयशंकर का यह बयान ट्रंप के दावों का खंडन करता है, जो पिछले 21 दिनों में 10 बार भारत-पाक युद्ध को रोकने का श्रेय ले चुके हैं। भारत की यह स्पष्टता उसकी स्वतंत्र विदेश नीति और आत्मनिर्भर कूटनीति को दर्शाती है।
ट्रंप की बार-बार की बयानबाजी
पिछले 21 दिनों में ट्रंप ने कम से कम 10 बार दावा किया है कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका। 10 मई से शुरू हुई उनकी यह बयानबाजी शुक्रवार को भी जारी रही, जब उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनकी नीतियों ने परमाणु आपदा को टाला। ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के नेताओं की तारीफ करते हुए कहा कि दोनों ने परिस्थितियों को समझा और सहमति बनाई। हालांकि, ट्रंप ने किसी भी भारतीय या पाकिस्तानी नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी यह टिप्पणी कि वह युद्धरत देशों के साथ समझौता नहीं करेंगे, कूटनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई। यह बयान उनकी आक्रामक व्यापार नीति का हिस्सा माना जा रहा है।
टैरिफ और व्यापार समझौता
ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत और पाकिस्तान पर 29 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की, हालांकि भारत पर यह टैरिफ 9 जुलाई 2025 तक निलंबित है। इसके अलावा, भारतीय सामानों पर 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ अभी भी लागू है। सूत्रों के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच 25 जून 2025 तक एक अंतरिम व्यापार समझौते पर सहमति बन सकती है। वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले सप्ताह वाशिंगटन में अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक से मुलाकात की, जहां व्यापार वार्ता को गति देने पर चर्चा हुई। यह अंतरिम समझौता प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) की पहली कड़ी हो सकता है, जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को मजबूत करेगा।
ट्रंप की नीति: व्यापार या युद्ध नहीं
ट्रंप ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जोर देकर कहा कि अमेरिका उन देशों के साथ व्यापार नहीं करेगा जो एक-दूसरे पर गोली चला रहे हों या परमाणु हथियारों का उपयोग करने की कगार पर हों। उन्होंने भारत और पाकिस्तान को महान नेतृत्व वाले देश बताया, जिन्होंने उनकी व्यापार नीति के दबाव में तनाव कम किया। ट्रंप का यह बयान उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का हिस्सा है, जिसमें वह व्यापार को कूटनीति के हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, भारत ने उनकी मध्यस्थता की भूमिका को खारिज कर दिया, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या ट्रंप का दावा केवल प्रचार है या इसमें कुछ सच्चाई है।
कूटनीतिक और व्यापारिक प्रभाव
ट्रंप का यह बयान भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव, अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों और वैश्विक कूटनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। भारत ने हमेशा अपनी विदेश नीति में तटस्थता और स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी है, और ट्रंप के दावों का खंडन इस दृष्टिकोण को मजबूत करता है। दूसरी ओर, अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की संभावना दोनों देशों के लिए आर्थिक अवसर खोल सकती है। हालांकि, ट्रंप का यह कड़ा रुख कि वह युद्धरत देशों के साथ समझौता नहीं करेंगे, भारत-पाक संबंधों में भविष्य के तनाव को और जटिल बना सकता है। यह बयान वैश्विक मंच पर चर्चा का केंद्र बन गया है।
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