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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
भारत की कूटनीति, पाकिस्तान की नकल: बिलावल भुट्टो की अगुवाई में डेलिगेशन, आतंकवाद का सच आएगा सामने!
इस्लामाबाद, पाकिस्तान (Islamabad, Pakistan) - भारत की कूटनीतिक रणनीति की नकल करते हुए पाकिस्तान ने बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल बनाया है, जो वैश्विक मंच पर उसका पक्ष रखने की कोशिश करेगा। यह कदम भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद 40 सांसदों की सात टीमों की घोषणा के जवाब में आया है, जो दुनिया भर में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर बेनकाब करेंगी। भारतीय डेलिगेशन में शशि थरूर, सुप्रिया सुले और रविशंकर प्रसाद जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं। पाकिस्तान की इस नकल की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि भारत का संगठित और सबूतों पर आधारित अभियान पहले ही वैश्विक समुदाय का ध्यान खींच चुका है। यह कूटनीतिक जंग भारत की रणनीतिक मजबूती और पाकिस्तान की हताशा को उजागर करती है।
भारत की कूटनीति ने पाकिस्तान को बेचैन किया
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिससे आतंकवाद को गहरा झटका लगा। इस कार्रवाई को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों का समर्थन मिला, जिसके बाद भारत ने 40 सांसदों की सात टीमें बनाकर वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की रणनीति बनाई। ये टीमें 23 मई से अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में जाकर पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क के सबूत पेश करेंगी। पाकिस्तान ने भारत की इस पहल की नकल करते हुए शनिवार को बिलावल भुट्टो की अगुवाई में एक डेलिगेशन की घोषणा की, जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसका बचाव करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के ठोस सबूतों और वैश्विक समर्थन के सामने पाकिस्तान की यह कोशिश कमजोर पड़ सकती है।
बिलावल भुट्टो को सौंपी गई बड़ी जिम्मेदारी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बिलावल भुट्टो को वैश्विक मंच पर देश का पक्ष रखने का जिम्मा सौंपा है। इस डेलिगेशन में पूर्व मंत्री खुर्रम दस्तगीर खान, हिना रब्बानी खार और पूर्व विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी शामिल हैं। बिलावल ने सोशल मीडिया पर कहा कि वह इस जिम्मेदारी को स्वीकार करने के लिए सम्मानित महसूस करते हैं। उन्होंने दावा किया कि उनका डेलिगेशन शांति के लिए पाकिस्तान का पक्ष रखेगा, लेकिन भारत के पुख्ता सबूतों और कूटनीतिक रणनीति के सामने उनकी यह कोशिश कितनी कारगर होगी, यह बड़ा सवाल है। बिलावल की टीम उन देशों का दौरा करेगी, जहां भारत पहले ही अपनी बात रख चुका होगा, जिससे पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर और संदेह पैदा हो सकता है।
भारत का डेलिगेशन: सत्ता और विपक्ष का गठजोड़
भारत ने अपनी कूटनीतिक रणनीति को और मजबूत करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष के सांसदों को एकजुट किया है। शशि थरूर अमेरिका, पनामा और ब्राजील, सुप्रिया सुले मिस्र और दक्षिण अफ्रीका, रविशंकर प्रसाद मध्य पूर्व, संजय कुमार झा जापान, कनिमोझी रूस, श्रीकांत शिंदे यूएई और जय पांडा पश्चिमी यूरोप का दौरा करेंगे। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह डेलिगेशन भारत की एकजुटता और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को दुनिया के सामने रखेगा। प्रत्येक डेलिगेशन में 5-8 सांसद शामिल हैं, जो 10 दिनों तक 32 देशों और यूरोपीय संघ में भारत का पक्ष प्रस्तुत करेंगे। शशि थरूर और सुप्रिया सुले जैसे अनुभवी नेताओं की मौजूदगी भारत के संदेश को और प्रभावी बनाएगी। यह कदम भारत की राष्ट्रीय एकता और वैश्विक नेतृत्व की छवि को मजबूत करता है।
पाकिस्तान की रणनीति की कमजोर कड़ी
पाकिस्तान का डेलिगेशन भले ही बिलावल भुट्टो की अगुवाई में बनाया गया हो, लेकिन उसकी विश्वसनीयता पहले से ही संदिग्ध है। पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने के आरोपों का सामना कर रहा है, और ऑपरेशन सिंदूर ने उसके आतंकी ठिकानों को नष्ट कर वैश्विक समुदाय का ध्यान इस ओर खींचा है। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, के बाद भारत ने ठोस सबूतों के साथ पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। इसके विपरीत, पाकिस्तान के पास अपनी बात को साबित करने के लिए कोई ठोस आधार नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिलावल की टीम शांति की बात तो कर सकती है, लेकिन भारत के सबूतों और वैश्विक समर्थन के सामने उनकी कहानी विश्वास नहीं जगा पाएगी।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सख्त नीति का प्रतीक
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति का प्रतीक बन गया है। 7 मई को भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसने आतंकियों को भारी नुकसान पहुंचाया। इस कार्रवाई को वैश्विक स्तर पर समर्थन मिला, जिसने भारत की स्थिति को और मजबूत किया। इस ऑपरेशन के बाद भारत ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति अपनाई, जिसके तहत सांसदों का डेलिगेशन भेजा जा रहा है। यह कदम भारत की सैन्य ताकत के साथ-साथ उसकी कूटनीतिक गहराई को भी दर्शाता है। यह पहल वैश्विक समुदाय को यह संदेश देती है कि भारत आतंकवाद के हर रूप के खिलाफ सख्त और एकजुट है। भारत का यह अभियान न केवल पाकिस्तान को बेनकाब करेगा, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक मिसाल कायम करेगा।
वैश्विक मंच पर भारत की बढ़त
भारत का डेलिगेशन अपनी यात्रा के दौरान ठोस सबूतों, जैसे आतंकी ठिकानों की सैटेलाइट तस्वीरें, खुफिया रिपोर्ट और आतंकी गतिविधियों के दस्तावेज, पेश करेगा। यह अभियान भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को मजबूती से प्रस्तुत करेगा और पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब करेगा। भारत का डेलिगेशन 32 देशों और यूरोपीय संघ में अपनी बात रखेगा, जिससे पाकिस्तान की स्थिति और कमजोर होगी। दूसरी ओर, पाकिस्तान का डेलिगेशन, जो भारत की नकल मात्र है, अपनी विश्वसनीयता साबित करने में असफल हो सकता है। भारत की कूटनीतिक रणनीति और वैश्विक समर्थन ने उसे इस जंग में स्पष्ट बढ़त दी है। यह कदम न केवल भारत की राष्ट्रीय एकता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ उसकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।
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