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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
दिल्ली में फीस वृद्धि पर लगाम: रेखा गुप्ता सरकार का अध्यादेश लाने का प्लान
दिल्ली, भारत - Delhi, India - दिल्ली - दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार राजधानी के निजी स्कूलों में मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार जल्द ही एक अध्यादेश लाने की तैयारी में है, जो एक सप्ताह के भीतर पेश किया जा सकता है। यह कदम उन अभिभावकों और छात्रों के लिए राहत का सबब बन सकता है, जो लंबे समय से अनियमित और अत्यधिक फीस वृद्धि से परेशान हैं। दिल्ली सरकार का यह प्रयास निजी स्कूलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
अध्यादेश का मसौदा: कठोर नियम और जुर्माना
सूत्रों के अनुसार, 'दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक, 2025' के तहत प्रस्तावित अध्यादेश का ड्राफ्ट पहले ही लॉ डिपार्टमेंट को भेजा जा चुका है। इस अध्यादेश में नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। विशेष रूप से, बार-बार उल्लंघन करने वाले स्कूलों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान इस अध्यादेश को और सशक्त बनाता है। फीस निर्धारण में पारदर्शिता लाने के लिए स्कूल, जिला और समीक्षा स्तर पर कमेटियों का गठन किया जाएगा। इन कमेटियों का काम फीस संरचना की जांच करना और उचित वृद्धि को मंजूरी देना होगा।
विशेष सत्र रद्द, मॉनसून सत्र में बिल
इस बिल को मूल रूप से 13-14 मई को दिल्ली विधानसभा के प्रस्तावित विशेष सत्र में पेश किया जाना था। हालांकि, यह सत्र आयोजित नहीं हो सका। अब सरकार की योजना इसे आगामी मॉनसून सत्र में एक पूर्ण विधेयक के रूप में पेश करने की है। यह अध्यादेश और बाद में विधेयक दिल्ली के 1,677 निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों पर लागू होगा, जिससे फीस वृद्धि की प्रक्रिया में एकरूपता और नियंत्रण आएगा। यह कदम अभिभावकों को अनुचित वित्तीय बोझ से बचाने में मदद करेगा।
डीपीएस द्वारका विवाद: उत्प्रेरक बना मामला
निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि का मुद्दा तब सुर्खियों में आया, जब डीपीएस द्वारका में कई छात्रों का नाम बढ़ी हुई फीस न भरने के कारण काट दिया गया। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया और स्कूल के इस कदम को 'अमानवीय' करार दिया। अदालत ने प्रभावित छात्रों को आंशिक भुगतान पर पुनः प्रवेश देने का आदेश दिया। सरकार ने भी इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की, जिसके बाद 16 अप्रैल 2025 को 10 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। ऑडिट रिपोर्ट जमा न करने वाले स्कूलों को भी नोटिस भेजा गया।
600 स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट संग्रह
दिल्ली सरकार ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए अब तक 600 स्कूलों से ऑडिट रिपोर्ट एकत्र की है। यह कदम स्कूलों की वित्तीय पारदर्शिता को जांचने और अनियमित फीस वृद्धि को रोकने की दिशा में उठाया गया है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि सरकार एक मजबूत दस्तावेजीकरण प्रणाली स्थापित करेगी। उन्होंने यह भी जोर दिया कि पिछले समय में फीस वृद्धि को मंजूरी देने में हुई अनियमितताओं और संभावित भ्रष्टाचार की जांच की जाएगी। सरकार का कहना है कि ऐसी किसी भी गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अभिभावकों की शिकायतें और उत्पीड़न
पिछले कुछ महीनों में, अभिभावकों ने निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि और छात्रों के उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज की हैं। कुछ स्कूलों पर आरोप है कि उन्होंने बिना मंजूरी के फीस बढ़ाई और भुगतान न करने वाले छात्रों को कक्षा में बैठने से रोका। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बार-बार कहा है कि इस तरह की फीस वृद्धि और अभिभावकों व छात्रों का उत्पीड़न अस्वीकार्य है। उन्होंने यह भी वादा किया कि उनकी सरकार हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण और आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पिछले प्रयास और वर्तमान संकट
दिल्ली में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि का मुद्दा लंबे समय से चिंता का विषय रहा है। दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम, 1973 के तहत, स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय (डीओई) से मंजूरी लेना अनिवार्य है। हालांकि, कई स्कूलों ने इस नियम का पालन नहीं किया, खासकर कोविड के बाद के समय में, जब फीस में 25 से 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। सरकार का यह अध्यादेश इस समस्या को जड़ से खत्म करने और अभिभावकों को राहत देने की दिशा में एक ठोस कदम है।
भविष्य की उम्मीद: पारदर्शिता और जवाबदेही
रेखा गुप्ता सरकार का यह अध्यादेश निजी स्कूलों में फीस वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करेगा। स्कूल, जिला और समीक्षा स्तर की कमेटियां फीस निर्धारण की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाएंगी। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाएगी और उल्लंघन करने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें मान्यता रद्द करना और प्रबंधन को अपने नियंत्रण में लेना शामिल है। यह कदम दिल्ली के मध्यम और निम्न-आय वर्ग के परिवारों के लिए वित्तीय बोझ को कम करने में मदद करेगा।
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