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अंकिता भंडारी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की याचिका खारिज की, न्याय की उम्मीदें धूमिल
नई दिल्ली - अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय की उम्मीदें एक बार फिर धूमिल हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद, वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने एक भावुक पत्र लिखकर अंकिता को न्याय न मिल पाने पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा, "मुझे खेद है, अंकिता, कि आपकी हत्या की निष्पक्ष जांच की उम्मीदें खत्म हो गईं।"
क्या है पूरा मामला?
अंकिता भंडारी हत्याकांड सितंबर 2022 में उत्तराखंड के पौड़ी जिले के गंगा भोगपुर स्थित वनंतरा रिज़ॉर्ट में सामने आया था। अंकिता, जो रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करती थी, पर आरोप लगा कि उसे एक वीआईपी मेहमान को "विशेष सेवा" देने के लिए मजबूर किया गया था। जब उसने इनकार किया, तो उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई और उसके शव को चिला नहर में फेंक दिया गया।
आरोपियों में रिज़ॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, प्रबंधक अंकित गुप्ता और सहायक प्रबंधक सौरभ भास्कर शामिल हैं। यह मामला देश भर में सुर्खियों में रहा, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने न्याय की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
सीबीआई जांच क्यों नहीं होगी?
उत्तराखंड सरकार का कहना है कि इस मामले की जांच तथ्यों पर आधारित थी और चार्जशीट में सभी सबूत शामिल किए गए हैं। आरोपी जेल में हैं और मामला कोटद्वार कोर्ट में विचाराधीन है। हालांकि, वकील कोलिन गोंजाल्विस ने पुलिस जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि:
1. अंकिता की व्हाट्सएप चैट, जिसमें उसने दोस्त को वीआईपी के बारे में बताया था, चार्जशीट से हटा दी गई।
2. मुख्य आरोपी के सहयोगी, जो नकदी और हथियार के साथ था, से पूछताछ तक नहीं हुई।
3. अंकिता के आंसुओं से भरे आखिरी पलों का गवाह एक होटल कर्मी था, लेकिन उसका बयान चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया।
4. जिस कमरे में अंकिता ठहरी थी, उसकी फोरेंसिक रिपोर्ट चार्जशीट में नहीं लगाई गई।
5. सबसे बड़ा सवाल – आखिर वह वीआईपी कौन था? पुलिस ने उसकी पहचान अब तक उजागर नहीं की।
अब आगे क्या?
मुख्य आरोपी पुलकित आर्य ने ट्रायल कोर्ट में नार्को टेस्ट की मांग की थी, जिससे सच सामने आने की संभावना थी, लेकिन कोर्ट ने यह याचिका भी खारिज कर दी। इस फैसले के बाद, अंकिता के परिवार और उनके वकील कोलिन गोंजाल्विस ने न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
गोंजाल्विस ने अपने पत्र में लिखा, "मुझे खेद है, अंकिता। भारत में आम महिलाओं की ज़िंदगी मायने नहीं रखती। शक्तिशाली लोग बार-बार बच निकलते हैं।"
इस फैसले के बाद यह सवाल और गहरा गया है कि क्या अंकिता को पूरा न्याय मिलेगा या फिर वीआईपी के रसूख तले सच हमेशा के लिए दफन हो जाएगा?
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