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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
टैक्सी ड्राइवरों की बगावत: ऐप-आधारित टैक्सी नियमों से मचा बवाल!
पणजी, गोवा - Panaji, Goa - गोवा सरकार ने ऐप-आधारित टैक्सी एग्रीगेटर्स के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की हैं, जिससे स्थानीय टैक्सी यूनियनों में भारी रोष फैल गया है। इन नए नियमों से ओला, उबर और रैपिडो जैसी कंपनियों को राज्य में सेवाएं शुरू करने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन टैक्सी चालकों को डर है कि इससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। यह विवाद गोवा की पर्यटन-निर्भर अर्थव्यवस्था में टैक्सी चालकों के लिए एक बड़े संकट का संकेत देता है।
नए नियमों का विवरण
गोवा सरकार ने 20 मई 2025 को गोवा ट्रांसपोर्ट एग्रीगेटर गाइडलाइंस, 2025 को लागू किया, जिसके तहत ऐप-आधारित टैक्सी और बाइक टैक्सी सेवाओं को नियंत्रित करने का प्रस्ताव है। इन नियमों के अनुसार, केवल वैध परमिट और प्राइवेट सर्विस व्हीकल (PSV) बैज वाले चालक ही एग्रीगेटर्स के साथ काम कर सकेंगे। परिवहन विभाग ने बिना लाइसेंस के संचालन करने वालों के लिए 50 लाख रुपये तक के जुर्माने और ब्लैकलीटिंग की सजा का प्रावधान किया है। इन कठोर दंडों ने टैक्सी चालकों के बीच असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है।
टैक्सी चालकों की चिंता
स्थानीय टैक्सी चालकों का कहना है कि ये गाइडलाइंस बहुत ढीली-ढाली हैं, जिससे देश भर के लोग गोवा में आकर टैक्सी चला सकते हैं। उन्हें डर है कि ऐप-आधारित सेवाएं उनकी आजीविका छीन लेंगी, क्योंकि ये कंपनियां सस्ती कीमतों पर सेवाएं देती हैं। कैलंगुट के टैक्सी मालिक चेतन कामत ने कहा कि ऐप-आधारित सेवाएं शुरू होने से पर्यटकों पर निर्भर उनके व्यवसाय को भारी नुकसान होगा। टैक्सी चालकों का यह विरोध गोवा की पर्यटन अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।
विरोध और प्रदर्शन
नए नियमों के विरोध में कैलंगुट और अन्य क्षेत्रों के टैक्सी मालिकों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। टैक्सी यूनियनों ने फटोर्डा विधायक और गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई से मुलाकात कर अपनी आपत्तियां दर्ज कीं। विजय सरदेसाई ने सरकार की नीति की आलोचना करते हुए कहा कि यह स्थानीय टैक्सी चालकों के हितों के खिलाफ है। यह राजनीतिक समर्थन टैक्सी चालकों के आंदोलन को और मजबूती दे रहा है।
पर्यटन उद्योग की प्रतिक्रिया
गोवा के पर्यटन उद्योग ने इन नियमों को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। ट्रैवल एंड टूरिज्म एसोसिएशन ऑफ गोवा (TTAG) ने इन गाइडलाइंस का समर्थन किया है, उनका मानना है कि यह पर्यटकों के लिए बेहतर गतिशीलता विकल्प प्रदान करेगा। TTAG के अनुसार, ऐप-आधारित सेवाएं पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाएंगी और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देंगी। हालांकि, टैक्सी चालकों का कहना है कि यह उनके लिए नुकसानदायक होगा। पर्यटन उद्योग और टैक्सी चालकों के बीच यह मतभेद गोवा की अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकता है।
महिला चालकों और इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन
नए नियमों में कुछ प्रोत्साहन भी शामिल हैं। महिला मालिक-सह-चालकों को इलेक्ट्रिक टैक्सी के लिए 1 लाख रुपये और इलेक्ट्रिक बाइक या रिक्शा के लिए 20,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। गाइडलाइंस के अनुसार, यह सब्सिडी दो किश्तों में दी जाएगी, जिसमें से एक 500 ट्रिप पूरा करने के बाद मिलेगी। इसके अलावा, जिन एग्रीगेटर्स के बेड़े में 20% महिला चालक होंगी, उन्हें लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क में छूट मिलेगी। यह प्रोत्साहन गोवा में लैंगिक समानता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
अन्य राज्यों का उदाहरण
गोवा से पहले, दिल्ली, महाराष्ट्र, और असम जैसे राज्यों ने भी ऐप-आधारित टैक्सी और बाइक टैक्सी सेवाओं के लिए नियम बनाए हैं। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में बाइक टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध और फिर नियमन को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई चली है। परिवहन विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि गोवा को अन्य राज्यों के अनुभवों से सीख लेनी चाहिए ताकि स्थानीय चालकों और पर्यटकों दोनों के हितों का संतुलन बनाया जा सके। अन्य राज्यों के मॉडल गोवा के लिए एक रोडमैप प्रदान कर सकते हैं।
टैक्सी चालकों की आजीविका पर खतरा
गोवा में लगभग 20,000 टैक्सी चालक विभिन्न परमिटों और सेवाओं के साथ काम करते हैं। ये चालक लंबे समय से पर्यटकों पर निर्भर हैं और ऐप-आधारित सेवाओं को अपनी आजीविका के लिए खतरा मानते हैं। टैक्सी यूनियनों ने सरकार से मांग की है कि स्थानीय चालकों को प्राथमिकता दी जाए और बाहरी लोगों को टैक्सी चलाने की अनुमति न दी जाए। यह मांग गोवा की स्थानीय अर्थव्यवस्था को बनाए रखने की उनकी चिंता को दर्शाती है।
सरकार का रुख
गोवा सरकार ने इन गाइडलाइंस पर 30 दिनों के भीतर हितधारकों से सुझाव मांगे हैं। परिवहन विभाग का कहना है कि यह नियम पर्यटकों की सुविधा और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए हैं। परिवहन मंत्री ने आश्वासन दिया है कि टैक्सी चालकों की चिंताओं को ध्यान में रखा जाएगा। हालांकि, चालकों का कहना है कि सरकार उनके हितों की अनदेखी कर रही है। यह 30-दिन की अवधि गोवा के परिवहन भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण होगी।
आगे की राह
यह विवाद गोवा में परिवहन नीतियों और पर्यटन उद्योग के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर करता है। सरकार को स्थानीय टैक्सी चालकों की आजीविका की रक्षा करते हुए पर्यटकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक समावेशी नीति बनानी होगी। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि गोवा अपने पारंपरिक “पायलट” मॉडल को ऐप-आधारित सेवाओं के साथ एकीकृत कर सकता है। यह संतुलन गोवा को एक आधुनिक और समावेशी पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित कर सकता है।
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