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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
शेख हसीना पर ऐतिहासिक सुनवाई: बांग्लादेश में आज होगा सजीव प्रसारण, मौत की सजा का खतरा
ढाका - Dhaka - बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आज इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी-बीडी) में एक ऐतिहासिक सुनवाई शुरू होने जा रही है। यह पहली बार है जब बांग्लादेश में किसी ट्रिब्यूनल की कार्यवाही का सजीव प्रसारण सरकारी चैनल बांग्लादेश टेलीविजन (बीटीवी) पर किया जाएगा। इस सुनवाई में शेख हसीना पर जुलाई-अगस्त 2024 के जन आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनके लिए उन्हें मौत की सजा तक हो सकती है। यह सुनवाई न केवल बांग्लादेश के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना है, बल्कि यह शेख हसीना के 16 साल के शासन के बाद उनकी कानूनी स्थिति पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी।
ऐतिहासिक सुनवाई का सजीव प्रसारण
बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना के खिलाफ औपचारिक आरोपों की सुनवाई के लिए रविवार, 1 जून 2025 को सुबह 9:30 बजे का समय निर्धारित किया है। आईसीटी-बीडी के अभियोजक गाजी एमएच तमिम ने बताया कि यह सुनवाई पूरे देश को दिखाई जाएगी ताकि न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। यह पहली बार है जब बांग्लादेश में किसी ट्रिब्यूनल की कार्यवाही का सजीव प्रसारण होगा। इस कदम को देश में न्यायिक पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। शेख हसीना के साथ-साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्लाह अल-मामुन के खिलाफ भी आरोपों की सुनवाई होगी।
शेख हसीना के खिलाफ गंभीर आरोप
शेख हसीना को पिछले साल 5 अगस्त 2024 को छात्रों के नेतृत्व वाले एक बड़े आंदोलन के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। इस आंदोलन के दौरान हुए हिंसक प्रदर्शनों में सैकड़ों लोग मारे गए थे, और संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 तक लगभग 1,400 लोग मारे गए। अभियोजकों ने शेख हसीना को इन हिंसक घटनाओं और मानवता के खिलाफ अपराधों का “केंद्र” करार दिया है, जिसमें “आयना घर” (गुप्त हिरासत केंद्र) से संबंधित जबरन गायब करने के आरोप भी शामिल हैं। हसीना के खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, भ्रष्टाचार और युद्ध अपराधों के आरोप शामिल हैं। ट्रिब्यूनल ने 18 फरवरी को जांच को अप्रैल तक पूरा करने का आदेश दिया था, और अब औपचारिक आरोप दाखिल किए जा रहे हैं।
छात्र आंदोलन और हसीना का पतन
जुलाई-अगस्त 2024 में बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुआ आंदोलन सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली के खिलाफ था। यह आंदोलन जल्द ही शेख हसीना की 16 साल की सत्ता के खिलाफ एक बड़े जन आंदोलन में बदल गया। 5 अगस्त 2024 को हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी, जिसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला। इस आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए टकराव में सैकड़ों लोग मारे गए, जिसके लिए हसीना और उनकी अवामी लीग पार्टी के नेताओं को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ट्रिब्यूनल अब इन घटनाओं की जांच कर रहा है और हसीना के खिलाफ गंभीर आरोपों पर सुनवाई करेगा।
न्यायिक पारदर्शिता की दिशा में कदम
आईसीटी-बीडी के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा कि शेख हसीना और उनकी सरकार के प्रभावशाली नेताओं के खिलाफ पहली बार औपचारिक आरोपों की प्रस्तुति पूरे देश के सामने होगी। इस सजीव प्रसारण का उद्देश्य न केवल न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है, बल्कि बांग्लादेश के लोगों को यह दिखाना है कि कानून के सामने कोई भी व्यक्ति सर्वोपरि नहीं है। यह ट्रिब्यूनल मूल रूप से 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के सहयोगियों को दंडित करने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब इसे हसीना के शासन के दौरान हुए अपराधों की जांच के लिए पुनर्गठित किया गया है। इस सुनवाई में हसीना के साथ उनके सहयोगियों पर भी आरोप लगाए जाएंगे, जो वर्तमान में जेल में हैं।
हसीना की भारत में मौजूदगी और प्रत्यर्पण की मांग
शेख हसीना वर्तमान में भारत में शरण लिए हुए हैं, और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की मांग की है। हालांकि, भारत ने इस मांग पर केवल स्वीकृति की पुष्टि की है, और कोई आगे की टिप्पणी नहीं की है। बांग्लादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि मौजूद है, लेकिन इसमें यह प्रावधान है कि यदि अपराध “राजनीतिक प्रकृति” का हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। हसीना की भारत में मौजूदगी ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में जटिलताएं पैदा की हैं, क्योंकि बांग्लादेश में कई लोग उनकी शरण को लेकर नाराज हैं। ट्रिब्यूनल ने हसीना को 18 नवंबर तक अदालत में पेश करने का आदेश दिया था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में सुनवाई आगे बढ़ रही है।
हसीना के शासन का विवादास्पद इतिहास
शेख हसीना ने 2010 में इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल की स्थापना की थी ताकि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के सहयोगियों को दंडित किया जा सके। हालांकि, इस ट्रिब्यूनल पर मानवाधिकार संगठनों ने पक्षपात और प्रक्रियात्मक कमियों का आरोप लगाया था, क्योंकि इसका उपयोग हसीना द्वारा अपने राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए किया गया था। अब वही ट्रिब्यूनल उनकी अपनी सुनवाई कर रहा है, जो एक विडंबनापूर्ण स्थिति है। हसीना के शासन के दौरान हजारों लोगों के जबरन गायब होने और राजनीतिक विरोधियों की हत्या के आरोप लगे हैं, जिनकी जांच अब तेज हो रही है। ट्रिब्यूनल ने 17 दिसंबर 2024 तक जांच पूरी करने का आदेश दिया है।
बांग्लादेश में न्याय की उम्मीद
इस सुनवाई ने बांग्लादेश के लोगों में एक नई उम्मीद जगाई है कि जुलाई-अगस्त 2024 की हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। लोगों का मानना है कि सजीव प्रसारण से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि शक्तिशाली लोग भी कानून से ऊपर नहीं हैं। शेख हसीना के खिलाफ यह सुनवाई न केवल उनके व्यक्तिगत भविष्य को प्रभावित करेगी, बल्कि बांग्लादेश की राजनीतिक और न्यायिक व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालेगी। यह सुनवाई बांग्लादेश के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, जो देश में लोकतंत्र और जवाबदेही की नई शुरुआत का संकेत देती है।
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