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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
यमुनोत्री यात्रा में सेल्फी लेते वक्त हार्ट अटैक, श्रद्धालु की मौत ने दहलाया दिल!
यमुनोत्री, उत्तराखंड - Yamunotri, Uttarakhand - उत्तराखंड की पवित्र चारधाम यात्रा के दौरान दिल्ली के एक 46 वर्षीय श्रद्धालु की यमुनोत्री में सेल्फी लेते समय कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। इस दुखद घटना ने यात्रा में मरने वालों की संख्या को 43 तक पहुंचा दिया। यह घटना चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य जोखिमों और सुरक्षा उपायों की गंभीरता को रेखांकित करती है।
घटना का मार्मिक विवरण
दिल्ली के मंडोली क्षेत्र के रहने वाले शिव कुमार (46) मंगलवार को यमुनोत्री धाम की यात्रा पर थे। वह यमुनोत्री मंदिर से लगभग एक किलोमीटर दूर सेल्फी ले रहे थे, तभी अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और वह गिर पड़े। उनके परिवार और पास मौजूद स्वास्थ्य टीम ने उन्हें तुरंत जंकी चट्टी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शिव कुमार की मौत ने उनके परिवार और सहयात्रियों को गहरे सदमे में डाल दिया।
शिव कुमार की यात्रा और पृष्ठभूमि
शिव कुमार पेशे से स्कूल बस ड्राइवर थे और चारधाम यात्रा के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। उन्होंने लगातार दो साल तक चारधाम यात्रा पूरी की थी और इस साल तीसरी बार अपने पांच परिवारजनों के साथ यात्रा पर निकले थे। उनके भतीजे लवकेश कुमार ने बताया कि यमुनोत्री उनकी यात्रा का पहला पड़ाव था। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि उनकी मृत्यु कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट के कारण हुई, जो कठिन ट्रैकिंग और कम ऑक्सीजन स्तर के कारण हो सकती है। शिव की आस्था और समर्पण ने उन्हें यात्रियों के बीच एक प्रेरणा बनाया था।
यमुनोत्री की चुनौतीपूर्ण यात्रा
यमुनोत्री धाम, जो गढ़वाल हिमालय में 10,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, तक पहुंचने के लिए 6 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है। यह यात्रा शारीरिक रूप से कमजोर या स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों के लिए जोखिम भरी हो सकती है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि उच्च ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी और शारीरिक तनाव कार्डियक समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। यमुनोत्री की कठिन राह हर साल श्रद्धालुओं की हिम्मत की परीक्षा लेती है।
चारधाम यात्रा में बढ़ती मौतें
30 अप्रैल 2025 को शुरू हुई इस साल की चारधाम यात्रा में अब तक 43 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो चुकी है। अधिकांश मौतें कार्डियक अरेस्ट या श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण हुई हैं। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, यमुनोत्री में 6 मौतें दर्ज की गई हैं, जबकि केदारनाथ और गंगोत्री मार्गों पर भी कई हताहत हुए हैं। इन आंकड़ों ने चारधाम यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
स्वास्थ्य जांच की कमियां
यात्रा के दौरान स्वास्थ्य जांच के लिए विभिन्न स्वास्थ्य स्क्रीनिंग सेंटर (HSC) और मेडिकल रिलीफ पॉइंट (MRP) स्थापित किए गए हैं। लगभग 3,49,111 श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की गई, जिनमें से 15,000 में स्वास्थ्य समस्याएं पाई गईं। स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि कई श्रद्धालु स्वास्थ्य चेतावनियों को नजरअंदाज कर यात्रा जारी रखते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यात्रा के दौरान मृत्यु से मोक्ष मिलता है। यह आस्था और स्वास्थ्य के बीच का टकराव प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है।
प्रशासन की लापरवाही पर सवाल
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य जांच को और सख्त करना होगा। अमरनाथ यात्रा की तरह अनिवार्य स्वास्थ्य मानदंड लागू करने की मांग उठ रही है। जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि पहाड़ों में स्क्रीनिंग शुरू होने तक कई श्रद्धालु जोखिम भरे क्षेत्रों में पहुंच चुके होते हैं। प्रशासन की ढीली व्यवस्था ने इस त्रासदी को और गहरा किया है।
परिवार का दर्द और मांग
शिव कुमार के परिवार ने इस हादसे के लिए प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने मांग की कि यात्रा मार्ग पर तत्काल चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाई जाएं और स्वास्थ्य जांच को अनिवार्य किया जाए। लवकेश ने कहा कि अगर समय पर चिकित्सा सहायता मिलती, तो शायद उनके चाचा को बचाया जा सकता था। परिवार का यह दर्द हर उस यात्री की सुरक्षा की पुकार है जो चारधाम यात्रा पर जाता है।
सरकारी प्रयास और सुधार
उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने 200 से अधिक एंबुलेंस और 108 एंबुलेंस सेवा को तैनात करने का दावा किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी यात्रा की व्यवस्थाओं पर नजर रखने के लिए वर्चुअल बैठक की। हालांकि, स्थानीय लोगों और यात्रियों का कहना है कि ये प्रयास अपर्याप्त हैं। सरकार के ये कदम उम्मीद जगाते हैं, लेकिन धरातल पर बदलाव की जरूरत है।
सामाजिक प्रतिक्रिया और जागरूकता
इस घटना ने सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा छेड़ दी है। लोगों ने यात्रा में स्वास्थ्य जोखिमों और भीड़ प्रबंधन की कमी पर सवाल उठाए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अनिता जोशी ने कहा कि श्रद्धालुओं को यात्रा से पहले स्वास्थ्य जांच और प्रशिक्षण देना जरूरी है। यह हादसा समाज को आस्था के साथ स्वास्थ्य के महत्व को संतुलित करने की सीख देता है।
आगे की राह
चारधाम यात्रा में बढ़ती मौतें प्रशासन और श्रद्धालुओं दोनों के लिए चेतावनी हैं। सरकार को स्वास्थ्य जांच, चिकित्सा सुविधाओं और भीड़ नियंत्रण पर सख्त कदम उठाने होंगे। स्थानीय समुदाय ने भी यात्रियों से अपील की है कि वे अपनी सेहत का ध्यान रखें। शिव कुमार की मृत्यु चारधाम यात्रा को सुरक्षित बनाने की मांग को और मजबूत करती है।
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