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By: G D BHAGAT Senior Editor, UjalaNewsUK
अमेरिकी दवाओं और स्टेंट की लूट: आयुर्वेद बचा सकता है आपकी जिंदगी और पैसा
नई दिल्ली, New Delhi - आयुर्वेदिक चिकित्सा बनाम आधुनिक लूट - एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है, जिसमें दावा किया गया है कि अमेरिका की कई बड़ी दवा कंपनियां भारत में ऐसी दवाएं और स्टेंट बेच रही हैं, जो अमेरिका में पिछले 20 सालों से प्रतिबंधित हैं। ये दवाएं खासकर दिल के मरीजों को दी जा रही हैं, जो न केवल महंगी हैं बल्कि उनकी जिंदगी को और खतरे में डाल सकती हैं। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कैसे आयुर्वेदिक उपचार, विशेष रूप से लौकी का रस, आपके दिल की सेहत को बचा सकता है और लाखों रुपये की लूट से आपको सुरक्षित रख सकता है।
अमेरिकी स्टेंट की सच्चाई: 3 डॉलर का स्टेंट 5 लाख में
जब किसी को दिल का दौरा पड़ता है, तो डॉक्टर अक्सर एंजियोप्लास्टी की सलाह देते हैं। इस प्रक्रिया में दिल की नसों में एक स्प्रिंग जैसा स्टेंट डाला जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस स्टेंट की उत्पादन लागत मात्र 3 डॉलर (लगभग 250 रुपये) है, जबकि भारत में इसे 3 से 5 लाख रुपये में बेचा जाता है? यह एक ऐसी सच्चाई है जिसे आम मरीजों से छिपाया जाता है। स्टेंट लगाने के बाद भी मरीज की समस्याएं खत्म नहीं होतीं। कुछ समय बाद स्टेंट के दोनों तरफ फिर से ब्लॉकेज शुरू हो जाता है, जिसके कारण मरीज को बार-बार एंजियोप्लास्टी करवानी पड़ती है। यह एक ऐसी चेन है जिसमें मरीज के लाखों रुपये लुटते हैं और उसकी जिंदगी खतरे में पड़ती रहती है।
डॉक्टरों का कमीशन और बार-बार एंजियोप्लास्टी की सलाह
पोस्ट में दावा किया गया है कि डॉक्टरों को स्टेंट कंपनियों से कमीशन मिलता है, जिसके चलते वे मरीजों को बार-बार एंजियोप्लास्टी करवाने की सलाह देते हैं। यह एक ऐसा चक्र है जिसमें मरीज की जिंदगी और उसकी जेब दोनों खतरे में पड़ती हैं। लेकिन सवाल यह है कि अगर एंजियोप्लास्टी इतनी जोखिम भरी और महंगी है, तो इसका विकल्प क्या है? जवाब है - आयुर्वेद, जो न केवल सस्ता है बल्कि पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी भी है।
आयुर्वेद का चमत्कार: लौकी का रस और वाग्भट जी का सूत्र
हमारे देश में 3000 साल पहले महर्षि वाग्भट जी ने ‘अष्टांग हृदयम’ नामक पुस्तक लिखी थी, जिसमें उन्होंने 7000 सूत्रों के माध्यम से विभिन्न बीमारियों के इलाज बताए। इनमें से एक सूत्र दिल की बीमारियों से संबंधित है। वाग्भट जी के अनुसार, दिल की नसों में ब्लॉकेज का मुख्य कारण रक्त में अम्लता (एसिडिटी) का बढ़ना है। जब रक्त में अम्लता बढ़ती है, तो यह खून को गाढ़ा कर देता है, जिसके कारण यह नसों में जमा होने लगता है और ब्लॉकेज बन जाता है। यही ब्लॉकेज दिल का दौरा पड़ने का कारण बनता है।
वाग्भट जी का समाधान बेहद सरल है। वे कहते हैं कि रक्त की अम्लता को कम करने के लिए ऐसी चीजें खानी चाहिए जो क्षारीय (एल्कलाइन) हों। अम्ल और क्षार के मिश्रण से रक्त न्यूट्रल हो जाता है, जिससे ब्लॉकेज की समस्या खत्म हो जाती है और दिल का दौरा पड़ने की संभावना शून्य हो जाती है।
लौकी का रस: दिल की सेहत का रामबाण इलाज
वाग्भट जी के अनुसार, लौकी (दूधी या बॉटल गourd) सबसे अधिक क्षारीय खाद्य पदार्थ है। लौकी का रस न केवल रक्त की अम्लता को कम करता है, बल्कि दिल की नसों में जमा ब्लॉकेज को भी धीरे-धीरे हटाता है। स्वामी रामदेव जी ने भी लौकी के रस को बढ़ावा दिया है और दावा किया है कि इसके सेवन से 3 लाख से अधिक लोगों की दिल की बीमारियां ठीक हो चुकी हैं। इनमें कई डॉक्टर भी शामिल हैं, जो खुद लौकी का रस पीकर स्वस्थ हुए और फिर अपनी क्लिनिक में मरीजों का इलाज करने लगे।
लौकी के रस को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें 7-10 तुलसी के पत्ते, 7-10 पुदीने के पत्ते और थोड़ा सेंधा नमक या काला नमक मिलाया जा सकता है। ये सभी सामग्रियां क्षारीय हैं और रक्त की अम्लता को तुरंत न्यूट्रल करती हैं। रोजाना सुबह खाली पेट 200-300 मिलीलीटर लौकी का रस पीने से 21 दिनों में ही असर दिखना शुरू हो जाता है। 2-3 महीनों में दिल की सभी ब्लॉकेज पूरी तरह ठीक हो सकती हैं।
लौकी की शुद्धता की जांच कैसे करें?
लौकी का रस पीने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि लौकी शुद्ध हो और उसमें कोई इंजेक्शन न लगा हो। इसके लिए एक आसान तरीका है - लौकी पर नाखून लगाकर देखें। अगर नाखून पूरा अंदर चला जाए, तो लौकी शुद्ध है। अगर नाखून केवल निशान छोड़ता है और अंदर नहीं जाता, तो ऐसी लौकी का उपयोग न करें, क्योंकि यह इंजेक्शन लगी हो सकती है।
आयुर्वेद अपनाएं, लूट से बचें और गौशाला को दान दें
इस पोस्ट का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि आयुर्वेद के सरल उपायों से आप न केवल अपनी जिंदगी बचा सकते हैं, बल्कि लाखों रुपये की लूट से भी बच सकते हैं। लौकी का रस पीकर आप एंजियोप्लास्टी और महंगे स्टेंट की जरूरत को हमेशा के लिए खत्म कर सकते हैं। अगर आप इस उपाय से पैसे बचा पाते हैं, तो उस पैसे को किसी गौशाला में दान करें। गौ माता की सेवा से न केवल आपका स्वास्थ्य बचेगा, बल्कि देश की संस्कृति भी बचेगी।
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