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हेल्थ इंश्योरेंस में कैपिंग का खेल: जानिए क्या है सब-लिमिट और क्यों है यह जरूरी | Ujala News Uk)

(हेल्थ इंश्योरेंस में कैपिंग का खेल: जानिए क्या है सब लिमिट और क्यों है यह जरूरी)
Posted by G D BHAGAT
Posted Date: 2025-05-31 15:14:49
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हेल्थ इंश्योरेंस में कैपिंग का खेल: जानिए क्या है सब-लिमिट और क्यों है यह जरूरी

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हेल्थ इंश्योरेंस में कैपिंग का खेल: जानिए क्या है सब-लिमिट और क्यों है यह जरूरी

By: G D BHAGAT

Senior Editor, UjalaNewsUK


नई दिल्ली - नई दिल्ली
New Delhi - New Delhi

हेल्थ इंश्योरेंस आज के समय में हर व्यक्ति की जरूरत बन गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी पॉलिसी में छिपी कैपिंग या सब-लिमिट की शर्तें आपके क्लेम को प्रभावित कर सकती हैं? कैपिंग या सब-लिमिट वह राशि है, जो बीमा कंपनी किसी विशेष मेडिकल खर्च या प्रक्रिया के लिए भुगतान करती है, और इसके बारे में जानकारी न होने पर पॉलिसी धारकों को अपनी जेब से भारी-भरकम राशि चुकानी पड़ सकती है। इस लेख में हम आपको हेल्थ इंश्योरेंस में कैपिंग की पूरी जानकारी देंगे, ताकि आप सही निर्णय ले सकें।

कैपिंग या सब-लिमिट क्या होती है?



हेल्थ इंश्योरेंस में कैपिंग या सब-लिमिट एक ऐसी शर्त है, जो बीमा कंपनी द्वारा किसी विशेष मेडिकल खर्च के लिए निर्धारित अधिकतम भुगतान को दर्शाती है। इसके तहत अस्पताल में रूम का किराया, आईसीयू चार्ज, सर्जरी, या अन्य विशेष प्रक्रियाओं के लिए एक निश्चित राशि तय की जाती है। अगर इन सेवाओं की लागत इस तय सीमा से अधिक होती है, तो बाकी राशि पॉलिसी धारक को अपनी जेब से चुकानी पड़ती है। कैपिंग की यह शर्त पॉलिसी की लागत को कम करने में मदद करती है, लेकिन यह पॉलिसी धारकों के लिए आर्थिक बोझ भी बन सकती है।

कैपिंग से जुड़ी गलतफहमियां



अक्सर लोग यह मान लेते हैं कि अगर उनकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी 5 लाख रुपये की है, तो अस्पताल का सारा खर्च बीमा कंपनी उठाएगी। लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। कैपिंग के कारण कुछ खर्चों, जैसे रूम रेंट या विशेष सर्जरी, पर पहले से तय सीमा लागू होती है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी पॉलिसी में रूम रेंट की कैपिंग 5,000 रुपये प्रतिदिन है और आप 10,000 रुपये का कमरा लेते हैं, तो आपको अतिरिक्त 5,000 रुपये खुद देने होंगे। इस तरह की गलतफहमी के कारण क्लेम के समय पॉलिसी धारकों को बड़ा झटका लगता है।

कैपिंग किन-किन खर्चों पर लागू होती है?



हेल्थ इंश्योरेंस में कैपिंग कई तरह के खर्चों पर लागू हो सकती है। इसमें अस्पताल में रूम रेंट, आईसीयू चार्ज, सर्जरी, डायग्नोस्टिक टेस्ट, और कुछ विशेष उपचार शामिल हैं। कुछ पॉलिसियों में डिलीवरी, मोतियाबिंद सर्जरी, या जोड़ों के प्रत्यारोपण जैसे प्रोसिजर पर भी कैपिंग लागू होती है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी पॉलिसी में मोतियाबिंद सर्जरी के लिए 50,000 रुपये की कैपिंग है और सर्जरी का खर्च 80,000 रुपये है, तो आपको 30,000 रुपये का भुगतान खुद करना होगा। इसलिए, पॉलिसी खरीदते समय इन शर्तों को ध्यान से पढ़ना जरूरी है।

कैपिंग का उदाहरण समझें



मान लीजिए, आपके पास 10 लाख रुपये की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है, जिसमें रूम रेंट की कैपिंग 6,000 रुपये प्रतिदिन और आईसीयू चार्ज की कैपिंग 12,000 रुपये प्रतिदिन है। अगर आप अस्पताल में 10,000 रुपये प्रतिदिन का कमरा लेते हैं और 5 दिन तक भर्ती रहते हैं, तो आपको 5 दिन के लिए 20,000 रुपये (4,000 रुपये प्रति दिन अतिरिक्त) का भुगतान करना होगा। इसी तरह, अगर सर्जरी का खर्च पॉलिसी में तय कैपिंग से अधिक होता है, तो अतिरिक्त राशि आपको वहन करनी होगी। यह उदाहरण दर्शाता है कि कैपिंग की जानकारी न होने पर क्लेम के समय आर्थिक परेशानी हो सकती है।

पॉलिसी खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान



हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय कैपिंग और सब-लिमिट की शर्तों को ध्यान से पढ़ना जरूरी है। कई बीमा कंपनियां कम प्रीमियम वाली पॉलिसी में अधिक कैपिंग लागू करती हैं, जो बाद में क्लेम के समय परेशानी का कारण बनती है। पॉलिसी धारकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी पॉलिसी में कैपिंग की सीमाएं उनकी जरूरतों के अनुरूप हों। इसके अलावा, ऐसी पॉलिसी चुनने की कोशिश करें, जिसमें कैपिंग कम हो या ‘नो सब-लिमिट’ का विकल्प हो, भले ही इसका प्रीमियम थोड़ा अधिक हो।

कैपिंग के फायदे और नुकसान



कैपिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह बीमा कंपनियों को प्रीमियम की लागत कम रखने में मदद करता है, जिससे पॉलिसी धारकों को सस्ती पॉलिसी मिलती है। हालांकि, इसका नुकसान यह है कि कैपिंग के कारण पॉलिसी धारकों को अप्रत्याशित खर्चों का सामना करना पड़ सकता है। खासकर उन लोगों के लिए, जो गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होते हैं, कैपिंग एक बड़ी चुनौती बन सकती है। इसलिए, पॉलिसी खरीदने से पहले सभी नियमों और शर्तों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।

कैसे बचें कैपिंग की परेशानी से?



कैपिंग से बचने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, पॉलिसी दस्तावेज को ध्यान से पढ़ें और कैपिंग से संबंधित सभी शर्तों को समझें। दूसरा, ऐसी बीमा कंपनी चुनें, जो कम कैपिंग या बिना कैपिंग वाली पॉलिसी प्रदान करती हो। तीसरा, अपने बीमा एजेंट या सलाहकार से कैपिंग के बारे में विस्तृत जानकारी लें और अपनी जरूरतों के हिसाब से पॉलिसी चुनें। अस्पताल में भर्ती होने से पहले अपनी पॉलिसी की कैपिंग सीमा की जांच करें, ताकि आपको अनावश्यक खर्चों से बचाया जा सके।

हेल्थ इंश्योरेंस में जागरूकता की जरूरत



हेल्थ इंश्योरेंस में कैपिंग और सब-लिमिट की जानकारी न होना पॉलिसी धारकों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। कई बार लोग कम प्रीमियम के चक्कर में ऐसी पॉलिसी चुन लेते हैं, जिसमें कई तरह की कैपिंग लागू होती हैं। इसलिए, हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय केवल प्रीमियम पर ध्यान न दें, बल्कि पॉलिसी की शर्तों, खासकर कैपिंग और सब-लिमिट, को अच्छी तरह समझें। यह जागरूकता आपको क्लेम के समय आर्थिक और मानसिक परेशानी से बचा सकती है।

भविष्य के लिए सही कदम



हेल्थ इंश्योरेंस में कैपिंग और सब-लिमिट की जानकारी होना आज के समय में बेहद जरूरी है। बीमा कंपनियों को भी चाहिए कि वे अपनी पॉलिसी की शर्तों को सरल और पारदर्शी बनाएं, ताकि आम लोग इन्हें आसानी से समझ सकें। पॉलिसी धारकों को सलाह दी जाती है कि वे समय-समय पर अपनी पॉलिसी की समीक्षा करें और जरूरत पड़ने पर उसे अपग्रेड करें। इससे न केवल उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि वे अप्रत्याशित मेडिकल खर्चों से भी बच सकेंगे।
https://advisor.turtlemint.com/profile/2619875/G_D_Bhagat

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