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मसूरी में हिमपात की आस लगाए पर्यटक , जलवायु परिवर्तन का असर
मसूरी में हिमपात की आस लगाए पर्यटक , जलवायु परिवर्तन का असर
मसूरी: एक समय था जब मसूरी की पहाड़ियां सर्दियों में दो से चार फीट तक बर्फ से ढकी रहती थीं। लेकिन आज मसूरीवासी और पर्यटक बर्फ देखने के लिए तरस गए हैं। फरवरी माह समाप्ति की ओर है, लेकिन हिमदेव मसूरी से रूठे हुए हैं। इस सर्दी में बामुश्किल ही कुछ बारिश हुई है, जो मसूरी के लिए एक चिंताजनक स्थिति है।
पर्यटकों को मायूसी, हिमपात का इंतज़ार बेकार
सर्दियों के मौसम में जब आसमान में बादल छाने लगते हैं, तो पर्यटक हिमपात की आस लगाकर मसूरी की ओर रुख करते हैं। लेकिन इस बार उन्हें मायूसी हाथ लगी है। पहले दिसंबर के मध्य तक मसूरी में हिमपात हो जाता था और जनवरी में तो कई बार बर्फबारी देखने को मिलती थी। एक बार तो 2 अप्रैल को भी दो फीट से अधिक हिमपात दर्ज किया गया था। लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल अलग है।
हिमपात न होने के प्रमुख कारण
1. बढ़ती आबादी और पर्यटकों का दबाव
2. वाहनों से होने वाला प्रदूषण
3. जंगलों का लगातार कटना
4. कंक्रीट के जंगलों का बढ़ना
मसूरी में हिमपात न होने का सबसे बड़ा कारण यहां की बढ़ती आबादी और पर्यटकों का लगातार बढ़ता दबाव है। वर्ष 1850 में मसूरी की आबादी महज 2,371 थी, जो 2001 तक बढ़कर 50,000 से अधिक हो गई। इसके अलावा, वाहनों से होने वाला प्रदूषण, जंगलों का लगातार कटना और कंक्रीट के जंगलों का बढ़ना भी प्रमुख कारण हैं।
जलवायु परिवर्तन का गहरा असर
पूरे साल 20 से 25 लाख से अधिक पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं। आबादी बढ़ने के साथ-साथ वनों का और अधिक सघन होना चाहिए था, लेकिन हुआ इसका उल्टा। आबादी बढ़ने के साथ जंगल आधे से भी कम रह गए हैं, जिसका यहां की जलवायु पर गहरा प्रभाव पड़ा है। आज मसूरी में एयर कंडीशनर लगाए जा रहे हैं, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यहां का मौसम पहले जैसा नहीं रहा।
मसूरी की जलवायु परिवर्तन की चुनौती
मसूरी की खूबसूरती और ठंडक अब धीरे-धीरे गायब होती जा रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण यहां का तापमान बढ़ रहा है और हिमपात की संभावना कम होती जा रही है। यह न केवल पर्यटकों के लिए बल्कि मसूरीवासियों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।
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