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उत्तराखंड में फिर बड़ा हादसा
उत्तराखंड में फिर बड़ा हादसा: भूस्खलन से हेमकुंड साहिब जाने वाला पुल ध्वस्त!
उत्तराखंड के चमोली जिले में बुधवार सुबह एक बड़ा हादसा हुआ। गोविंदघाट के पास अचानक भूस्खलन होने से हेमकुंड साहिब को जोड़ने वाला पुल ढह गया। इस हादसे के चलते हेमकुंड साहिब और विश्व धरोहर फूलों की घाटी जाने का मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है।
भारी मलबे से पुल को बड़ा नुकसान
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा गिरने के कारण पुल को गहरी क्षति पहुंची। मलबे के दबाव को सहन न कर पाने की वजह से पुल पूरी तरह से ढह गया। इस दुर्घटना के चलते पुलना और लोकपाल घाटी का संपर्क ब्लॉक मुख्यालय और शेष देश से कट गया है।
गनीमत: कोई जनहानि नहीं
संयोग से, हादसे के वक्त पुल पर कोई तीर्थयात्री या स्थानीय व्यक्ति मौजूद नहीं था, जिससे बड़ी जनहानि टल गई। अगर यह हादसा यात्रा के चरम समय में होता, तो परिणाम गंभीर हो सकते थे। प्रशासन अब स्थिति का जायजा लेकर जल्द से जल्द मार्ग बहाल करने की योजना बना रहा है।
धार्मिक और पर्यटन स्थल प्रभावित
हेमकुंड साहिब सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इसके अलावा, फूलों की घाटी एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो दुर्लभ फूलों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। पुल टूटने के कारण दोनों स्थानों का संपर्क अस्थायी रूप से बाधित हो गया है, जिससे धार्मिक यात्रा और पारिस्थितिक पर्यटन प्रभावित हुआ है।
मार्ग बहाली के लिए प्रशासन सक्रिय
स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों को सतर्क कर दिया गया है। मलबा हटाने और पुल की मरम्मत के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। साथ ही, यात्रियों की सुविधा के लिए वैकल्पिक मार्गों की तलाश भी की जा रही है।
लगातार भूस्खलनों से बढ़ रही चिंता
यह घटना उत्तराखंड में बढ़ती भूस्खलन की घटनाओं को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ियों की अस्थिरता और लगातार भारी वर्षा ऐसे हादसों के लिए जिम्मेदार हैं। भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए मजबूत पुलों और बेहतर निगरानी प्रणाली की आवश्यकता है।
यात्रियों के लिए चेतावनी
हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी जाने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को स्थानीय प्रशासन से ताजा जानकारी लेने के बाद ही यात्रा करने की सलाह दी गई है। जल्द ही अस्थायी मार्ग तैयार किए जा सकते हैं, लेकिन जब तक मार्ग पूरी तरह बहाल नहीं हो जाता, तब तक सतर्कता बरतना जरूरी है।
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